World Red Cross Day वर्ल्ड रेड क्रॉस दिवस kab aur kyun manaya jata hai?

        वर्ल्ड रेड क्रॉस दिवस World Red Cross Day 

दोस्तों आज हम यहाँ बात करने वाले है वर्ल्ड रेड क्रॉस दिवस के बारे में  जो की हर साल 8 मई को मनाया जाता है। दोस्तों सन 1863 में  इंटरनैशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस  की स्थापना  हुई थी। यह ऑर्गनाइज़ेशन युद्ध में पीड़ित लोगों एवं युद्ध बंदियों के लिए काम करती है। यह उन कानूनों को लागू करता  है जिससे युद्ध पीड़ितों की सुरक्षा होती है।

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उस कमिटी में स्विटजरलैंड के पांच नागरिक शामिल थे। कमिटी को हेनरी डिनैंट के सुझावों पर गौर करना था। कमिटी के पांच सदस्यों का नाम इस तरह से है, जनरल ग्यूमे हेनरी दुफूर, गुस्तावे मोयनियर, लुई ऐपिया, थिओडोर मॉनोइर और हेनरी डिनैंट स्वयं शमील थे। ग्यूमे हेनरी दुफूर स्विटजरलैंड की सेना के जनरल थे। एक साल के लिए वह कमिटी के अध्यक्ष रहे और बाद में मानद अध्यक्ष। गुस्तावे युवा वकील थे और पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष थे। उसके बाद से उन्होंने अपने जीवन को रेड क्रॉस कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। लुई और थिओडोर चिकित्सक थे। इसका मुख्यालय जिनीवा स्विटजरलैंड में है। आईसीआरसी को दुनिया भर की सरकारों के अलावा नैशनल रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसायटीज की ओर से फंडिंग मिलती है।
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दोस्तों कहा जाता है ,स्विटजरलैंड के एक उद्यमी थे जॉन हेनरी डिनैंट। 


1859 में वह फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय की तलाश में गए थे। उन दिनों अल्जीरिया पर फ्रांस का कब्जा था। डिनैंट को उम्मीद थी कि अल्जीरिया में व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलने में नेपोलियन उनकी मदद करेंगे। लेकिन डिनैंट को सम्राट नेपोलियन से मिलने का मौका नहीं मिला। इसी बीच वह इटली गए जहां उन्होंने सोल्फेरिनो का युद्ध देखा। एक ही दिन में उस युद्ध में लगभग 40,000 से ज्यादा सैनिक मारे गए और घायल हुए। किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए चिकित्सा कोर नहीं थी। डिनेट ने स्वंयसेवकों के एक समूह को संगठित किया। उनलोगों ने घायलों तक खाना और पानी पहुंचाया। घायलों का उपचार किया और उनके परिवार के लोगों को पत्र लिखा। इस घटना के 3 साल बाद डिनैंट ने अपने इस दुखद अनुभव को एक किताब के रूप में प्रकाशित किया। 

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किताब का नाम था 'A मेमरी ऑफ सोल्फेरिनो'। उन्होंने युद्ध के भयावह सत्य  के बारे में पुस्तक में लिखा था। उन्होंने बताया कि कैसे युद्ध में अपने अंगों को गंवाने वाले लोग कराह रहे थे। उनको मरने के लिए छोड़ दिया गया था। पुस्तक के अंत में उन्होंने एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया था। ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके। ऐसी सोसायटी जो हर नागरिकता के लोगों के लिए काम करे। उनके इस सुझाव को अगले ही बर्ष अपनाया गया।

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अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति:

अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति के कार्यों के विस्तार का आभास कुछ उदाहरणों से हो जाएगा। प्रारंभ से ही स्वतंत्र रेडक्रॉस समिति के निर्माण तथा जेनोआ अधिवेशन के सदस्यों की स्वीकृति ने शीघ्र सफलता प्राप्त कराई। फ्रांसीसी और जर्मन आहतों तथा बीमार सैनिकों की भलाई के लिए बास्ले में 1870 ई. में एक सूचना एजेन्सी का निर्माण हुआ।

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अक्टूबर 1863 में कमिटी की ओर से एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में 16 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की जिसमें कई उपयुक्त प्रस्तावों और सिद्धांतों को अपनाया गया। इसी सम्मेलन में कमिटी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का भी चयन किया गया। उस मौके पर दुनिया के सभी राष्ट्रों से ऐसे स्वैच्छिक संगठनों की स्थापना की अपील की गई जो युद्ध के समय बीमार और जख्मी लोगों की देखभाल करे। इन यूनिटों को नैशनल रेड क्रॉस सोसायटीज के नाम से जाना गया। दोस्तों  बाद में इसका नाम इंटरनैशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस हो गया। गुस्तावे इसके पहले अध्यक्ष बने।


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रेडक्रॉस के उद्देश्य:- दोस्तों अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस के उद्देश्य माने जाते है कि सभी देशों में रेडक्रॉस आंदोलन को फैलाना और रेडक्रॉस के आधारभूत सिद्धांतों के संरक्षक के रूप में कार्य करना एवं नई रेडक्रॉस समितियों के संविधान से वर्तमान समितियों को सूचित करना तथा सभी सभ्य राज्यों को जेनोआ अधिवेशन स्वीकार करने के लिए राजी करना 

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अधिवेशन के निर्णयों का पालन करना और क़ानून बनाने के लिए सरकारों पर दबाव डालना तथा ऐसी अवहेलनाओं को रोकने के लिए सेना को आदेश देना दोस्तों इसका मुख्य उद्देश्य युद्धकाल में बंदियों की सहायता तथा अन्य पीड़ितों की सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सी का निर्माण करना। 
दोस्तों यह बात तो रही रेडक्रॉस सोसायटी की इसी तरह हमें भी अपने आस-पास इसी तरह छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर लोगो की सेवा करते रहना 
चाहिए। Click on this link to read More----
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