shayar word ki best shayari

                             shayar word ki shayari    

"हम तो पागल है जो शायरी में ही दिल की बात कह देते है,

लोग तो गीता पे हाथ रख के भी सच नहीं बोलते"    

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"शायर ए फितरत हूँ मैं जब फिक्र फरमाता हूँ 
मैं रूह बनकर जर्रे जर्रे में समां जाता हूँ "
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"फलक देता है जिनको ऐश उनको गम भी होते हैं
जहां बजते हैं नगाड़े 
वहां मातम भी होते हैं"
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महफ़िल भले ही प्यार करने वालों की हो 
उसमे रौनक दिल टूटा शायर ही लाता है "
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"मेरी शायरी का असर उनपे हो भी तो कैसे हो ?
कि मैं एहसास लिखता हूँ तो वो अल्फाज़ पढ़ते हैं"
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"ये शायरियों की महफिले बेवफाओं की बजह से है 
गर बेवफा न होते तो हम शायर भी न होते "
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"में किसी से कहना नहीं चाहता हूं।
दिल पे रखकर पत्थर चुप ही रहना चाहता हूं।
बस एक चाह की ज़रूरत है।
बाकी सब धोखेबाज है।
ये बात किसी को कह नहीं पता हूं"
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"दो लव्ज क्या लिखे तेरी याद मे..
लोग कहने लगे तु शायर बहुत पुराना है"
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"हमारी शायरी पढ़कर बस इतना ही बोले वो,
कलम छीन लो इनसे लफ्ज़ दिल चीर देते हैं"
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"ना किया कर अपने दर्द को शायरी में ब्यान ये नादान दिल,
कुछ लोग टुट जाते हैं इसे अपनी दास्तान समझकर"

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"Shayar to hum hai shayari bana denge
aapko shayari me qaid kar lenge
kabhi sunao hume apni aawaz
aapki aawaz ko hum ghazal bana denge"


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"मिला क्या हमें सारी उम्र मोहब्बत करके,
बस एक शायरी का हुनर एक रातों का जागना"
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"सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज पे उतार कर
कह भी देता हूँ और आवाज भी नहीं होती"
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दर्द जब आँखों से निकला  तो बोले  कायर है 
और जब लफ्ज़ बनकर निकला तो बोले शायर है ये "
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"न मैं शायर हूँ न मेरा शायरी से कोई वास्ता,
बस शौक बन गया है तेरी बेवफाई बयाँ करना"
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"Aasaan Nahi Hai Hum Se Yu Shayarion Me Jeet Pana
Hum Har Ek Shabd Mohabbat Me Haar Ke Likhte Hain"
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"नाजुकी उन लबों की क्या कहिए
पंखुड़ी एक गुलाब की सी है
मीर उन नीमबाज आंखों में
सारी मस्ती शराब की सी है"
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"चंद अल्फाज़ में बयां कर देती है हाले-दिल,
ये शायरी भी चीज बड़े काम की है"
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"यहाँ हजारों शायर है जो तख़्त बदलने निकले है
कुछ मेरे जैसे पागल है जो वक़्त बदलने निकले है"
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"लाई हयात आये, कजा ले चली चले
अपनी खुशी न आए, न अपनी खुशी चले"
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"वाकई पत्थर दिल ही होते हैं हम दिलजले शायर,
वर्ना अपनी आह पर वाह सुनना कोई मज़ाक नहीं"
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"mat kaho ise char line ki shayri
likhte likhte khatam ho jayegi daiyri
ye shayri ni umr ka takaja hai
khatam ho jayegi zindagi lekin phir v rh jayegi shayari"
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"शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में"
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"शौंक नहीं है मुझे अपने जज़्बातों को यूँ सरेआम लिखने का
मगर क्या करूँ  अब जरिया ही ये है तुझसे बात करने का"
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"हम तो शायर हैं सियासत नहीं आती हमको,
हम से मुँह देखकर लहजा नहीं बदला जाता"
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"किताब मेरी, पन्ने मेरे और सोच भी मेरी
फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे"
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"अपनी तस्वीर बनाओगे तो होगा एहसास,
कितना दुश्वार है खुद को कोई चेहरा देना"
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"बड़ी अजीब है ये मोहब्बत
वरना अभी उम्र ही क्या थी शायरी करने की"
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"किसी ने मुझ से कहा बहुत खुबसूरत लिखते हो यार,मैंने कहा
खुबसूरत शायरी  नहीं वो है जिसके लिए हम लिखा करते है"
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"बहुत दिनों के बाद उसका कोरा कागज़ आया
शायर हूँ साहब, लिखी हुई खामोशी पढ़ ली मैंने"
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"शायरी कर रहा हूँ तो शायर कहिए साहब
वो दिन पुराने हो गए जब आशिक़ थे हम"
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"चेहरा तक पे डाका पर जाएगा,
हर बात में दिल से न खुला करो।
गैरों को करीबी की जरूरत नहीं,
खुशी कम पर ज्यादा गिला करो"
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"उलझ कर तेरी जुल्फों ने यूँ आबाद हो जाउँ,
कि जैसे लखनऊ का मैँ अमीनाबाद हो जाउँ।
मैँ यमुना की तरह तन्हा निहारूँ ताज को कब तक,
कोई गंगा मिले तो मैँ इलाहाबाद हो जाउँ"
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"Ajeeb hoon yaro
Ajeebiyat me jeeta hoon
Jiske liye marta tha
Usi ke liye jeeta hoon"
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"मेरे अल्फ़ाज ही है मेरे दर्द का मरहम
गर मैं शायर ना होता तो पागल होता."
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"दिले-नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है"
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"आज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ से 
चौंक उठते थे कभी तेरी मुलाक़ात से हम"
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"कमाल करता है ऐ दिल भी तु
कोई क्या जानेगा कभी अपना भी जमाना था
लोग उसके इश्क़ के और मैं उसकी चाय का दिवाना था"
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"रात क्या हुई रोशनी को भूल गए
चाँद क्या निकला सूरज को भूल गए
माना कुछ देर हमने मैसेज आपको नही किया
तो क्या आप हमे Good night कहना भूल गए"
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"नहीं है ज़माने की खबर तुमको,
घूँघट डाल के ही निकला करो।
रूप चुरा ले जाएगा यूँ ही कोई,
राह में ऐसे सबसे न मिला करो"
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"अगर तुम हो तो घबराने की बात थोड़ी है
जरा सी बूंदाबांदी है बहुत बरसात थोड़ी है
ये राहें इश्क़ है इसमें कदम ऐसे ही उठते हैं
मोहब्बत सोचने वालों की बस की बात थोड़ी हैं"
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"Are kambkat jalim humse judha hokar pachtaogi tum ,
kabhi ye na kahna tüte hua tare ho tum 
are hum vo chand he jo ändere ko Rosen Karte he 
hum vo samndar he jo nadiyo ko Milate he "
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"वो करीब ही न आए तो इज़हार क्या आए तो इज़हार क्या करते
खुद बने निशाना तो शिकार क्या करते
मर गए पर खुली रखी आंखें
इससे ज्यादा किसी का इंतजार क्या करते"
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"shayari na pucho shayar se
 ki Ye shayari sun na hai
Shayari shayar ke lafzo mai nhi
Shayari to dilo ki gehrai mai basti hai"
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"क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं 
वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं"
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"समझा दो इन आधियो को

अपनी औकात मे रहे

हम परो से नहीं अपनें

होंसले से उड़ते है"
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"मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी 

किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी"

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"मेरी शायरी का असर उनपे हो भी तो कैसे हो ?
कि मैं एहसास लिखता हूँ तो वो अल्फाज़ पढ़ते हैं"
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शायर कह कर बदनाम न करना मुझको 
मैं तो रोज शाम दिनभर का हिसाब लिखता हूँ"
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