FRIENDS Aap aur hum sabhi jaante hai ki communication main chune huye shabdo ,alfaz ka kitna mahtav hota hai , agar lafz sahi na ho to pyar toot jata hai ,yadi lafz sahi na ho to dost rooth jata hai,
aaj hum aapke liye laaye hai - alfaz shayari in hindi,alfaz quotes,lafz shayari in hindi,lafz shayari quotes,lafz quotes
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मेरे लफ्जों से न कर
मेरे किरदार का फ़ैसला
तेरा वजूद मिट जायेगा
मेरी हकीकत ढूंढ़ते ढूंढ़ते
Mere lafzo se na kar
mere kirdar ka faisla
tera vajood mit jayega
meri hakikat dhoondhte-dhoondhte
Shabd shayari in hindi
Shabd shayari in hindi
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ताक़त अपने लफ्ज़ों में डालो
आवाज में नहीं..
क्योंकि फसल बारिश से उगती है,
बाढ़ से नही ।
आवाज में नहीं..
क्योंकि फसल बारिश से उगती है,
बाढ़ से नही ।
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यहाँ अलफ़ाज़ की तलाश में न आया करो यारो
हम तो बस एहसास लिखते हैं, महसूस किया कीजिये
हम तो बस एहसास लिखते हैं, महसूस किया कीजिये
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शायद इश्क अब उतर रहा है सर से,
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए
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मैं ख़ामोशी तेरे मन की, तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा
मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हुआ हालात मेरा
मैं एक उलझा लम्हा, तू रूठा हुआ हालात मेरा
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किसी ने पूछा इतना अच्छा कैसे लिख लेते हो
मैंने कहा दिल तोड़ना पड़ता है लफ़्ज़ों को जोड़ने से पहले
मैंने कहा दिल तोड़ना पड़ता है लफ़्ज़ों को जोड़ने से पहले
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बिखरे पड़े हैं हर्फ कई तू समेट कर इन्हे अल्फाज़ कर दे
जोड़ दे बिखरे पन्ने को मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे
जोड़ दे बिखरे पन्ने को मेरी जिंदगी को तू किताब कर दे
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अलफ़ाज़ तो बहुत हैं
मोहब्बत बयान करने के लिए,
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते
वो अलफ़ाज़ क्या समझेगे
मोहब्बत बयान करने के लिए,
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते
वो अलफ़ाज़ क्या समझेगे
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अब ये न पूछना के मैं अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ
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वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से,
दूर क्या हुए कलम ने क़हर मचा दिया
दूर क्या हुए कलम ने क़हर मचा दिया
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दिल चीर जाते हैं… ये अल्फाज उनके
वो जब कहते हैं हम कभी एक नहीं हो सकते
वो जब कहते हैं हम कभी एक नहीं हो सकते
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वो कहते हैं...
कैसे बयां करे हम अपना हल-ए-दिल,
हमने कहा बस...
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं प्यार का इज़हार करने के लिए
कैसे बयां करे हम अपना हल-ए-दिल,
हमने कहा बस...
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं प्यार का इज़हार करने के लिए
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खता हो जाती है जज़्बात के साथ
प्यार उनका याद आता है, हर बात के साथ
खता कुछ नहीं, बस प्यार किया है
उनका प्यार याद आता है, हर अलफ़ाज़ के साथ
प्यार उनका याद आता है, हर बात के साथ
खता कुछ नहीं, बस प्यार किया है
उनका प्यार याद आता है, हर अलफ़ाज़ के साथ
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जो उनकी आँखों से बयां होते है
वो लफ्ज़ किताबो में कहाँ होते है
वो लफ्ज़ किताबो में कहाँ होते है
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मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ
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आ लिख दूँ कुछ तेरे बारे में,
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है,
खुद को मेरे अल्फाजो में
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है,
खुद को मेरे अल्फाजो में
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कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखता हूँ
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखता हूँ
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आंसू
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखता हूँ
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मेरे लफ्ज़ फ़ीके पड़ गए तेरी एक अदा के सामने
मैं तुझे ख़ुदा कह गया अपने ख़ुदा के सामने
मैं तुझे ख़ुदा कह गया अपने ख़ुदा के सामने
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आँसू मेरे देख के क्यों परेशान है ए दोस्त
ये तो वो अल्फ़ाज़ है जो जुबां तक ना आ सके
ये तो वो अल्फ़ाज़ है जो जुबां तक ना आ सके
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एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में,
एक आस में... एक काश... में
एक आस में... एक काश... में
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अल्फ़ाज़ गिरा देते हैं जज्बात की कीमत
हर बात को अल्फ़ाज़ में तोला न करो
हर बात को अल्फ़ाज़ में तोला न करो
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महसूस करोगे तो कोरे कागज पर भी नज़र आएंगे
हम अल्फ़ाज़ हैं तेरे हर लफ्ज़ में ढल जाएंगे
हम अल्फ़ाज़ हैं तेरे हर लफ्ज़ में ढल जाएंगे
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तुम्हे सोचा तो हर सोच से खुशबू आयी
तुम्हे लिखा तो हर अल्फ़ाज़ महकता पाया
तुम्हे लिखा तो हर अल्फ़ाज़ महकता पाया
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मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की,
हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे
हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे
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सभी तारीफ करते हैं मेरे तहरीर की लेकिन
कभी कोई नहीं सुनता मेरे अल्फ़ाज़ की सिसकियाँ
कभी कोई नहीं सुनता मेरे अल्फ़ाज़ की सिसकियाँ
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दो चार लफ्ज़ प्यार के लेकर हम क्या करेंगे
देनी है तो वफ़ा की मुकम्मल किताब दे दो
देनी है तो वफ़ा की मुकम्मल किताब दे दो
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सिमट गई मेरी गजल भी चंद अल्फ़ाज़ों में
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं
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मेरी शायरी का असर उन पर हो भी तो कैसे हो ?
के मैं अहसास लिखता हूँ वो अल्फाज़ पड़ते हैं।
के मैं अहसास लिखता हूँ वो अल्फाज़ पड़ते हैं।
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मेरी शायरी का असर उन पर हो भी तो कैसे हो
के मैं अहसास लिखता हूँ वो अल्फाज़ पढ़ते हैं
के मैं अहसास लिखता हूँ वो अल्फाज़ पढ़ते हैं
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छुपी होती है हर लफ्ज़ में कुछ गहरी राज की बातें
लोग शायरी या मज़ाक समझ के बस मुस्कुरा देते हैं
लोग शायरी या मज़ाक समझ के बस मुस्कुरा देते हैं
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शायद इश्क अब उतर रहा है सर से
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए
मुझे अलफ़ाज़ नहीं मिलते शायरी के लिए
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अलफ़ाज़ चुराने की हमें जरुरत ही ना पड़ी कभी,
तेरे वे हिसाब ख्यालों ने वे हतासा लफ्ज दिए
तेरे वे हिसाब ख्यालों ने वे हतासा लफ्ज दिए
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अल्फ़ाज़ चुराने की हमें जरुरत ही ना पड़ी कभी
तेरे बेहिसाब ख्यालों ने बेहतासा लफ्ज दिए
तेरे बेहिसाब ख्यालों ने बेहतासा लफ्ज दिए
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मुझ से खुशनसीब हैं मेरे लिखे हुए ये लफ्ज़,
जिनको कुछ देर तक पढेगी, निगाह तेरी
जिनको कुछ देर तक पढेगी, निगाह तेरी
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ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है न
पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल है
पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल है
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अब ये न पूछना के मैं अलफ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ
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जब अलफ़ाज़ पन्नो पर शोर करने लगे
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं
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छुपी होती है हर लफ्ज़ में दिल की बात
लोग शायरी समझ कर वाह वाह कर लेते हैं
लोग शायरी समझ कर वाह वाह कर लेते हैं
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हम अल्फाजो से खेलते रह गए
और वो दिल से खेल के चली गयी
और वो दिल से खेल के चली गयी
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ये जो खामोश से अलफ़ाज़ लिखे है न,
पड़ना कभी ध्यान से चीखते कमाल है
पड़ना कभी ध्यान से चीखते कमाल है
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ज़बाँ खामोश हो तो भी नज़र को लफ्ज़ दीजिये
बिन बोले बिन समझे से अहसाह मरते है
बिन बोले बिन समझे से अहसाह मरते है
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जब अलफ़ाज़ पन्नो पर शोर करने लगे,
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं।
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गए हैं।
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अलफ़ाज़ तो बहुत हैं
मोहब्बत बयान करने के लिए
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते
मोहब्बत बयान करने के लिए
पर जो खामोशी नहीं समझ सकते
वो अलफ़ाज़ क्या समझेगे
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लफ्जों से बया भावनाओं में लिपटा मै बदन नहीं रूह को छूता हुआ
अपने वजूद को महसूस की
एक आड मैं छुपाता हुआ एक एहसास
अपने वजूद को महसूस की
एक आड मैं छुपाता हुआ एक एहसास
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मत लगाओ बोली अपने अल्फ़ाज़ों की
हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे
हमने लिखना शुरू किया तो तुम नीलाम हो जाओगे
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हम अल्फाजो से खेलते रह गए,
और वो दिल से खेल के चली गयी
और वो दिल से खेल के चली गयी
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भगवान ! न जाने कैसे लोग मॉ को लिख लेते है,,,,
मुझे उस की अज़मत में हर लफ्ज़ फीका लगता है
मुझे उस की अज़मत में हर लफ्ज़ फीका लगता है
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वो कहते हैं…
कैसे बयां करे हम अपना हल-ए-दिल
हमने कहा बस…
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं प्यार का इज़हार करने के लिए
कैसे बयां करे हम अपना हल-ए-दिल
हमने कहा बस…
तीन अलफ़ाज़ काफी हैं प्यार का इज़हार करने के लिए
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तुम्हे सोचा तो हर सोच से खुसबू आयी,
तुम्हे लिखा तो हर अलफ़ाज़ महकता पाया
तुम्हे लिखा तो हर अलफ़ाज़ महकता पाया
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एक उम्र कटी दो अलफ़ाज़ में
एक आस में… एक काश… में
एक आस में… एक काश… में
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सिर्फ मेरे लिखे लफ्ज़ ही पढ़ पाया वो
मुझे पढ़ पाता इतनी उसकी तालीम ना थी
मुझे पढ़ पाता इतनी उसकी तालीम ना थी
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आ लिख दूँ कुछ तेरे बारे में
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है
खुद को मेरे अल्फाजो में
मुझे पता है कि तू रोज ढूंढती है
खुद को मेरे अल्फाजो में
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कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अलफ़ाज़ मेरे,
मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं
मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं
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कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फ़ाज़ मेरे
मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं
मतलब मोहब्बत में बर्बाद और भी हुए हैं
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बिखर जाती हूँ पन्नों पर मैं अक्सर लफ्ज़ बनकर
अल्फ़ाज़ों माफ़ कर देना तुम्हे बेघर जो करती हूँ
अल्फ़ाज़ों माफ़ कर देना तुम्हे बेघर जो करती हूँ
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सभी तारीफ करते हैं मेरे तहरीर की लेकिन,
कभी कोई नहीं सुनता मेरे अलफ़ाज़ की सिसकियाँ
कभी कोई नहीं सुनता मेरे अलफ़ाज़ की सिसकियाँ
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अपने हर एक लफ्ज़ का
खुद आइना हो जाऊँगा,
किसी को छोटा कहकर
मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा?
खुद आइना हो जाऊँगा,
किसी को छोटा कहकर
मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा?
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छुपी होती है हर लफ़्ज मे दिल की बात
लोग शायरी समझ कर वाह-वाह कर देते
लोग शायरी समझ कर वाह-वाह कर देते
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आँसू मेरे देख के क्यों परेसान है ए दोस्त,
ये तो वो अलफ़ाज़ है जो जुबां तक ना आ सके
ये तो वो अलफ़ाज़ है जो जुबां तक ना आ सके
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अपने हर लफ्ज़ में कहर रखते हैं हम,
रहें खामोश फिर भी असर रखते हैं हम
रहें खामोश फिर भी असर रखते हैं हम
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सिमट गई मेरी गजल भी चंद अलफ़ाजो में,
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं
जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं
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आंखों की बात है आंखों को ही कहने दो
कुछ लफ़्ज लबों पर मैले हो जाते हैं
कुछ लफ़्ज लबों पर मैले हो जाते हैं
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अलफ़ाज़ गिरा देते हैं जज्बात की कीमत,
हर बात को अलफ़ाज़ में तोला न करो
हर बात को अलफ़ाज़ में तोला न करो
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लफ्ज़ उनके फ़िर करवटें ले रहे है
शक है मुझे मेरी फ़िर तबाही का
शक है मुझे मेरी फ़िर तबाही का
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रुतबा तो खामोशियों का होता है मेरे दोस्त
अलफ़ाज़ तो बदल जाते है लोगों को देखकर
अलफ़ाज़ तो बदल जाते है लोगों को देखकर
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ये जो तुम लफ्जों से बार-बार चोट देते हो ना
दर्द वही होता है जहां तुम रहते हो
दर्द वही होता है जहां तुम रहते हो
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हां… याद आया उसका आखरी अलफ़ाज़ यही था
जी सको तो जी लेना, लेकिन मर जाओ तो बेहतर है
जी सको तो जी लेना, लेकिन मर जाओ तो बेहतर है
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मेरी ख़ामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
और शिकायत में दो लफ्ज़ कह दूँ तो वो चुभ जातें
और शिकायत में दो लफ्ज़ कह दूँ तो वो चुभ जातें
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खत्म हो गयी कहानी बस कुछ अलफाज बाकी है
एक अधूरे इश्क की एक मुक़्क़मल सी याद बाकी है
एक अधूरे इश्क की एक मुक़्क़मल सी याद बाकी है
Khatm ho gayi kahani bas kuch alfaz baaki hai
ek adhoore ishk ki ek mukammal si yaad banki hai
Alfaz word par shayari
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